पांजी मातृभूमी कच्छ, मातृभासा कच्छी ने पांजी संस्कृति ही पांला करे अमुल्य अईं. अज कच्छ में ऊद्योगिक ने खेतीवाडी में विकास थई रयो आय. बारनूं अलग अलग भासा बोलधल माडु प कच्छमे अची ने रेला लगा अईं. हॅडे वखत मे पां पांजी भासा ने संस्कृति के संभार्यूं ही वधारे जरूरी थई व्यो आय. अमुक महत्व जा कार्य जे अज सुधी पूरा थई व्या हुणा खप्या वा ने जे अना बाकी अईं हेनमेजा जे मिणीयां वधारे महत्वजा अईं से नीचे लखांतो.
१. चोवी कलाक जो कच्छी टी.वी.चेनल : अज जे आधुनिक काल में जमाने भेरो हले जी जरूर आय. अज मडे टी.वी. ने ईंटरनेट सुधी पोजी व्यो आय. हॅडे मे पांजा कच्छी माडु कच्छी भासा मे संस्कृति दर्सन, भजन, मनोरंजन, हेल्थ जी जानकारी ने ब्यो घणें मडे नेरेला मगेंता ही सॉ टका सची गाल आय. हेनजे अभाव में पांजा छोकरा ने युवक पिंढजी ऑलखाण के पूरी रीते समजी सकें नता. खास करेने जे कच्छ जे बार रेंता हु कच्छी भासा ने संस्कृति थी अजाण थींधा वनेंता.
कच्छी टी.वी.चेनल ते चॉवी कलाक कच्छी भासा में अलग अलग जात जा प्रोग्राम जॅडीते न्यूज, सीरीयल, हास्य कलाकार, खेतीवाडी जा सवाल जवाब, भजन, योगा,….नॅरेला मलें त कच्छी माडु धोनीया में केडा प हुअें कच्छ हनींजे धिल जे नजीक रॅ ने कच्छ प्रत्ये ने कच्छी भासा प्रत्ये गर्व वधॅ. भेगो भेगो पिंढजी ऑलखाण मजबुत थियॅ. ही कार्य मिणींया महत्वजो आय.
२. स्कूल में १ थी १० सुधी कच्छी भासा जो अभ्यास : अज कच्छ जे स्कूल में बो भासाएँ में सखायमें अचॅतो गुजराती ने ईंग्लीस. कच्छी भासा जे पांजी मातृभाषा आय ने घणे विकसित आय ही एकडी प स्कूल नाय जेडा १ थी १० धोरण सुधी सखायमें अचींधी हुए. कच्छी भासा जे उपयोग के वधारे में अचॅ त ही कच्छीयें ला करे सारी गाल आय ने स्कूल में सखायमें अचे त हनथी सारो कोरो. भोज, गांधीघाम जॅडे सहेरें में जेडा बई कम्युनीटी ( गुजराती,सींधी,हींदीभाषी,….) जा माडु प रेंता होडा ओप्सनल कोर्स तरीके रखेमें अची सगॅतो. १ थी १० क्लास सुधी अभ्यासक्रम पांजा कवि, साहित्यकार ने शिक्षक मलीने लखें त हेनके स्कूल में सखायला कच्छी प्रजा मजबूत मांग करे सगॅती. जॅडीते गुजरात, महाराष्ट्र,…. मे मातृभासा जो अभयासक्रम त हुऍतोज.
३ . चेक डॅम, वडा तरां, डीसेलीनेसन प्लांट : कच्छ में घणे सदीयेंथी पाणी जी अछत रोंधी रई आय. छेले ५ थी ६ वरे में वधारेतर सारो वरसाद प्यो आय. ऊद्योगिक विकास प धणे थई र्यो आय. हॅडे में पाणी जो वपरास घणे वध्यो आय नें पाणी जी खपत के पूरो करेला डीसेलीनेशन प्लांट ही धोनीयाभर में उपयोग थीयेंता. धरीया जे पाणी के पीधे लायक पाणी में परिवर्तन करे में अचे त ही ईंडस्ट्री ला करे वपराजे. वरसाद जे पाणी जो ऊपयोग रेसीडेंसीयल एरीया में ज वपराजे. नर्मदा जो पाणी भले थोडो मलधो प हेनमथे निर्भर रोणुं ही कीं सारी गाल न चोवाजे. वडा तरा प भन्या खपें जनमे वरसाद जे पाणी जो संग्रह थियॅ. कच्छ पंढ में आत्मनिर्भर रॅ त अनथी वधारे ब्यो कोरो खपे .
४. वधारे ऐंजीनीयरींग, मेडीकल, वोकेसनल ने ऐग्रीकल्चर कोलेज : कच्छी नवयुवकें के मिणीं क्षेत्रें में सारी संस्थाऐं मे भणेंला मलॅ त कच्छ सारी रीते अना विकसीत थीये. अज कच्छ मे घणें कंपनीयूं कच्छ जे बारनूं सीए, ईनजीनियर, अॅम बी ए,… कम ला बोलायेंती. कच्छमे सरकारके प माडु बारजा रखणा पेंता. पांजा कच्छी युवक वधारे भणी सगें त ही मडे सारे पगार वारीयूं नोकरीयूं पांजे छोकरें के ज मलें. ऐग्रीकल्चर कोलेजे मे भणीं करे पांजा खेडूत वधारे सारी खेती करे सगें.
५. कच्छी भासा के कच्छ मे सरकारी भासा तरीके स्थान : . कच्छ मे अज गुजराती सरकारी भासा तरीके वापरे मे अचॅती . कच्छी भासा मे प सरकारी कामकाज थई सके ही जरूरी आय. कच्छी भासा मे रामायण थी करेने मोबाईल रेडीयेशन जॅडे विसय मथे लेख लखेमे आया अईं त सरकारी कागरीया प भनी सगेंता.
ही पंज कार्य पूरा करेमे जे प अर्चणूं अचिनीयुं हनजो सामनो करेने पांके अगिया वध्यो खपधो. पां मिणीं कच्छीयें के जाती, धर्म के वधारे ध्यान डने वगर ही महत्वजा कार्य पूरा करेमे पुरो योगदान डीणुं खपॅ. तदेज पांजी मातृभूमी कच्छ प्रत्ये पां पांजो फर्ज नभायो ही संतोस पां माणें सगबो.
जय माताजी!
जय कच्छ!
जय – कच्छी माडु टीम…